Tata Group में फिर बड़ा झटका! TCS के बाद अब Tata Digital में आधी टीम तक की छंटनी की तैयारी
भारत के सबसे बड़े कॉर्पोरेट समूह टाटा में बदलावों का दौर थम नहीं रहा है।
TCS में 12,000 कर्मचारियों की कटौती की खबर अभी तक लोगों के मन में ताज़ा ही थी कि अब Tata Digital में भी बड़ा रीस्ट्रक्चरिंग प्लान सामने आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी अपने सुपर-ऐप Tata Neu में लगभग 50% स्टाफ घटाने पर विचार कर रही है।
यह कदम कंपनी के नए CEO सजिथ शिवानंदन के नेतृत्व में शुरू हुई बड़े बदलावों की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
Tata Neu क्यों नहीं चला?—कंपनी की अंदरूनी चुनौतियाँ
Tata Neu को टाटा ग्रुप के डिजिटल “सुपर-ऐप” के रूप में पेश किया गया था, लेकिन लॉन्च के बाद दो साल में ऐप को वह traction नहीं मिला जिसकी उम्मीद थी।
इसकी कई वजहें सामने आईं:
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बार-बार रणनीति बदलना
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टेक और ऑपरेशन्स में कोऑर्डिनेशन की कमी
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सीनियर लेवल पर लगातार एग्जिट
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उपयोगकर्ताओं के लिए अनुभव उम्मीद के मुताबिक नहीं बन पाया
नए CEO ने आते ही साफ कर दिया कि अब कंपनी का फोकस GMV बढ़ाने के चक्कर में नहीं रहेगा, बल्कि सस्टेनेबल प्रॉफिट पर रहेगा। और यही बदलाव बड़ा असर कर्मचारियों पर डालने वाला है।
री-स्ट्रक्चरिंग का मतलब: टीमों का मर्ज + खर्चों में कटौती
Tata Digital अपने विभिन्न डिजिटल वर्टिकल्स को एक जगह लाकर एकीकृत मॉडल की ओर जा रहा है।
इससे:
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ऑपरेशन्स स्मूथ होंगे
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लागत कम होगी
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डुप्लीकेट रोल हटाए जाएंगे
इसका सीधा मतलब है — कर्मचारियों की संख्या में बड़े पैमाने पर कमी।
BigBasket और Croma भी बदलावों के दौर में
टाटा डिजिटल के तहत आने वाले अन्य ब्रांड भी बड़े स्ट्रैटेजिक शिफ्ट से गुजर रहे हैं:
🔹 BigBasket
अब फोकस BB Now पर होगा — यानी क्विक डिलीवरी मॉडल।
कंपनी Blinkit, Zomato और Swiggy Instamart से मुकाबले के लिए तेज सेवा पर जोर दे रही है।
🔹 Croma
क्रोमा अपने घाटे में चल रहे स्टोर्स बंद कर रहा है।
इसके अलावा, कंपनी ने ई-कॉमर्स रेस में Amazon और Flipkart की बराबरी करने की कोशिश धीमी कर दी है।
फोकस अब ऑफलाइन रिटेल को मजबूत करने पर है।
कंपनी का नया फोकस: सिर्फ तीन मुख्य डिजिटल बिज़नेस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आगे टाटा डिजिटल तीन प्रमुख क्षेत्रों पर फोकस करेगा:
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फाइनेंशियल सर्विसेस
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सेंट्रलाइज्ड मार्केटिंग मॉडल
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यूनिफाइड लॉयल्टी प्रोग्राम
इनके जरिए कंपनी टाटा ग्रुप की ब्रांड वैल्यू को बेहतर तरीके से मॉनेटाइज़ करना चाहती है।

FY25 के आंकड़े क्या कहते हैं?
टाटा डिजिटल की वित्तीय रिपोर्ट भी संकेत देती है कि बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी:
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कंपनी का राजस्व 13.8% गिरकर 32,188 करोड़ रुपये रह गया
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नेट लॉस 1,201 करोड़ → 828 करोड़ रुपये तक घटा
यानी नुकसान कम हुआ है, लेकिन बिज़नेस अभी भी प्रॉफिटेबल नहीं बना।
आगे क्या?—कर्मचारियों के लिए मुश्किल दौर जारी
हालात बताते हैं कि आने वाले महीनों में:
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Tata Digital में बड़े पैमाने पर रोल कम किए जा सकते हैं
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टीमों का एकीकरण आगे और तेज होगा
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Tata Neu को lean और ज्यादा प्रॉफिटेबल मॉडल में बदला जाएगा
टाटा ग्रुप के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की यह सबसे बड़ी और कठिन स्टेज मानी जा रही है।
निष्कर्ष
TCS के बाद अब Tata Digital में भारी छंटनी की खबर ने फिर साबित कर दिया है कि भारतीय IT और डिजिटल सेक्टर एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है।
टाटा ग्रुप खर्च कम करके एक sustainable, profit-first मॉडल बनाना चाहता है — लेकिन इसकी कीमत कर्मचारियों को चुकानी पड़ रही है।